रविवार, 24 जनवरी 2016

ये दिन भी अपने थे - 21


बुआ के बारे में आपने जाना है ।उनके नौ बच्चे है ।बड़ी बेटी मुझसे दो साल बड़ी है।मैं गर्मी की छुट्टियों में जाती थी ।दीदी का नाम लता है ।उनसे मैंने अपनी संस्कृती के बारे में बहुत कुछ सीखा । नवरात्र के जवांरा के बारे में ,अक्षय तृतीया जिसे छत्तीसगढ़ में अक्ती कहते है उसके बारे में ।सुआ गीत और नृत्य के बारे में जानने के साथ नृत्य करना भी सीखा ।

बुआ कभी भी सब बच्चों को लेकर कहीं भी नहीं जाती थी ।हमारे गांव में शादी में ही सब बच्चो को एक साथ देखते थे ।तब गांव में मनोरंजन के लिये " नाचा " हुआ करता था ।रामलीला नवरात्र में झांकी हुआ करती थी । नाचा तो हास्य और व्यंग से भरा रहता था पर झांकी दुर्गा के नौ रुप और राक्षसों के संहार का जीवंत प्रदर्शन होता था ।झांकी आज भी देखने को मिलता है ।

शहर में फिल्मों का जोर रहता था ।गांव से शहर लोग फिल्म देखने आते थे साथ ही गोल बाजार की खरीददारी का मोह भी छोड़ नहीं पाते थे ।सर्कस तो गांव के मेले के समय भी लगता था पर बड़ा सर्कस शहर में ही लगता था ।जेमिनी सर्कस की धूम थी ।

एक बार बुआ सभी बच्चों को लेकर शहर आई ।बच्चों को जेमिनी सर्कस दिखाना था ।शाम को दो बैलगाड़ी में सभी लोग आये ।रात को नौ से बारह का शो देखना था ।महादेव घाट के बाद पाटन रोड से लगा हुआ रवेली नाम का गांव था ।अब भी है ।करीब बीस किलोमीटर पर ।

बुआ सब को खाना खिला कर सात बजे निकली थी ।आठ बजे रायपुर आ गये ।हिन्दूस्पोर्टिंग मैदान में सर्कस लगा था ।सामने ही हमारा घर था ।छत्तीसगढ़ की खास मोटी रोटी जिसे "अंगाकर रोटी" कहते हैं लेकर आई थीं ।मैं टीकट लेकर आई ।मैं भी साथ में गई ।बच्चे जाने के पहले खाना मांगने लगे ।मां ने कहा खाना बना देते हैं तो बुआ रोटी निकाल कर अचार चौके से लाकर खाने दे दी ।जिसको जो खाना था खाये और सब सर्कस देखने चले गये । सभी ने रोना गाना मचाया । दो तीन लोग सो गये ,पर पूरा सर्कस देखे ।

रात को बारह बजे खतम होने के बाद आये ।बुआ ने और फूफाजी ने नौकर से कहा अब गाड़ी फांदो ,चलेंगे ।माँ ने बहुत कहा बच्चों को नींद आ रही है ,अभी सो जाओ सुबह उठते ही चले जाना ।फूफा जी तैयार नहीं हुये ।नौकर ने बैल को फांदने के लिए ले गये तो देखे कि बैल को फंसाने का लोहा चोरी हो गया था ।

एक बच्चा जलेबी खाने के लिये रोने लगा ।अब सबकी मुसिबत हो गई ।बुआ ने कहा दुकान बंद होगा तो भी उसे दिखा दो तभी मानेगा ।एक नौकर लोहे के छड़ की जगह क्या लगायें ,उसका जुगाड़ करने लगा ।दूसरा नौकर मेरे साथ उस बच्चे को लेकर दुकान देखने चला ।पास में याने सत्तीबाजार फौव्वारा के पास की दुकान थी । बंद दुकान को देखकर बच्चा और जोर से रोने लगा ।हमलोग बाजू की गली में जाकर दरवाजा खटखटाने लगे ।

बच्चे के रोने की आवाज और नौकर के "भैय्या भैय्या " सुनकर हलवाई उठ कर दरवाजा खोला । "क्या है" कहते हुये जम्हाई लेने लगा ।बच्चा चुप हो गया ,उसे लगा "अब तो जलेबी मिलेगी " ।हलवाई ने कहा क्या है ।नौकर ने कहा "जलेबी " चाहिए।हलवाई ने कहा " इतनी रात को कहाँ जलेबी मिलेगा ,सब खतम हो गया ।"नौकर ने कहा" छोटा टुकड़ा भी हो तो दे दो ।"हलवाई वहीं रखी हुई ट्रे से कुछ चुरा जलेबी उठा कर दे दिया ।बच्चा चुप हो गया ।नौकर पैसा दे रहा था तो उसने नहीं लिया ।बच्चा इतना रोया था कि रास्ते में ही सो गया ।

हम लोग घर पहुंचे तो गाड़ी तैयार थी ।सब लोग बैठ गये ।जो बच्चे सोये थे उन्हे दूसरे बच्चे ने सहारा दे दिया ।गाड़ी चलने वाली थी कि अचानक बुआ ने कहा "बच्चों को गिन लो ।"बस यह सुनते ही फूफा जी गरम हो गये " बच्चे कहाँ जायेंगे ,मेरे बच्चे तुमको इतने भारी हो गये हैं कि गिन लो कह रही हो ।" नौकर से गाड़ी चलाने कह दिये ।दोनों गाड़ी चली गई ।

गर्मी के दिन थे आंगन में ,छत में खाट बिछे हुये थे ।अचानक मेरे चाचा के लड़के ने कहा कि एक बच्चा उपर खाट में सो रहा है मच्छरदानी लगी थी तो दिखाई नहीं दिया ।असल में सब रोना गाना और गाड़ी को तैयार करने में लगे रहे तो उनके साथ सब व्यस्त हो गये थे।माँ ने कहा सोने दो सुबह उठेगा तो पहुंचा देना ।सब सोने की कोशिश करने लगे पर रात के दो बज चुके थे तो नींद भी नहीं आ रही थी ।

तीन बजे गेट खटखटाने की आवाज आई सब लोग उठ गये ।नौकर कहता है कि "एक बच्चा छुट गया है क्या ।" सब हंसने लगे ।एक भैय्या दोनों को सायकिल से छोड़ने गये । नौकर ने बताया कि नदी के पास गाड़ी को खोल कर बैल को पानी पिलाये ।उस समय बुआ सब बच्चों को छुकर प्यार कर रही थी तब पता चला कि एक बच्चा नहीं है ।उस समय भी फूफा जी गुस्सा हुये और दो बार दोनों बैलगाड़ी के बच्चों को गिने ।अब बुआ गुस्सा हुई कि मै पहले ही बच्चों को गिन लो बोल रही थी पर आप उल्टा समझ गये ।बच्चे तो मेरे भी है पर ध्यान रखना पड़ता है ।बच्चों को गिनने से क्या सच बदल जायेगा ।

सच तो सच है एक माँ कह रही है ।फूफा जी समझ रहे थे कि बच्चे ज्यादा है इसकी भड़ास निकाल रही है ।सुबह पांच बजे वो लोग नदी से गांव के लिये निकले ।बच्चे गाड़ी में ही सोते रहे ।पूरे दिन फूफाजी मुंह छुपाते रहे क्योंकि एक माँ की ममता पर प्रश्न खड़ा कर दिये थे ।एक माँ कि चिंता कि कहीं मेरा बच्चा छुट तो नहीं गया ,कोई रो रहा है ,कोई सो रहा है किसी को नौकर ने उठाया किसी को फूफा जी ने ।इस घटना के बाद बुआ सब बच्चों को लेकर शहर नहीं आई ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें