आज मुझे अपनी डायरी के पुराने पन्ने याद आ रहे हैं। बचपन की कुछ यादें ताजा हो रही हैं। आज भारत का चंद्रयान चांद पर उतरने वाला था। यान जब चांद से सिर्फ 2.1 किलोमीटर दूर था तभी उसका संम्पर्क टूट गया। वह नौ सेकंड के बाद ही उतरने वाला था। यह पूरी तरह से स्वदेशी यान था। इस यान ने पुष्पक विमान की याद दिला दी। हमारी पौराणिक कथाओं में ग्रहों का मानवीकरण है। ये लोग एक ग्रह से दूसरे ग्रह में विचरण करते थे। 47 दिन पहले बहुत ही अरमानों के साथ चंद्रयान -2 भारत से भेजा गया था। यह उस स्थान पर उतरने वाला था जहां अंधेरा रहता है। रोशनी बहुत कम समय के लिये आती है और तापमान माइनस में रहता है। पानी की खोज के लिये गया यान ने हमारा साथ छोड़ दिया। " विक्रम "नाम का यान " प्रज्ञान "नाम की छोटी गाड़ी को छोड़ता और इससे ही पता चलता वहां की मिट्टी ,भूकंप, चट्टानों बारे में। "विक्रम" लैंडर है और "प्रज्ञान" रोवर है।
अंतिम "दहशत के वो पंद्रह मिनट " " 15 मिनट ऑफ टैरर" सभी टी वी के सामने बैठे थे। आज भारत जाग रहा था। पहले चरण में विक्रम तीस किलोमीटर से 7.4 किलोमीटर पर आया। दूसरे चरण में 7.5 से 5 किलोमीटर तक उतरा, तीसरे चरण में 5 किलोमीटर से नीचे उतरते समय सम्पर्क टूट गया। एक बज कर तिरपन मिनट पर उतरने वाला विक्रम एक बज कर इंकावन मिनट पर इसरो से सम्पर्क टूट गया। सभी दुखी थे।पर हमारे पी एम ,नरेंद्र मोदी जी ने् इसरो प्रमुख के सिवन को गले लगा कर बहुत अच्छी बात कही। "जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। यह कोई छोटी उपलब्धी नहीं है। देश आप पर गर्व करता है। आपकी इस मेहनत ने बहुत कुछ सीखाया है। अच्छे के लिये आशा करें। हर हार से हम बहुत कुछ सीख रहे हैं।मैं पूरी तरह आपके साथ हूं। हिम्मत के साथ चलें। आपके पुरुषार्थ से देश फिर से खुशी मनाने लग जायेगा।" यह मिशन सफल होता तो भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाता।
रात जागने वाला भारत उदास हो गया।
मुझे 20 जुलाई सन् 1969 का वह दिन याद आ गया जब अपोलो 11 ने चांद पर उतर कर एक रिकार्ड बनाया था। कई असफलता के बाद मानव सहित विमान भेजा गया। बहुत से प्रयोग बंदर और चिंपाजी पर किये गये थे। अंतरराष्ट्रीय समय 20.17.39 बजे चांद पर उतरा था। ये लोग वापस 24 जुलाई को प्रशांत महासागर में उतरे थे। सन् 1969 - 1972 तक छै अपोलो मिशन चांद पर गये उसमें से पांच ही सफल हुये थे। अपोलो 11 में तीन लोग गये थे। नील आर्मस्ट्रांग, कॉलिंस, ऐल्ड्रीन। इसमें से दो लोग नील आर्मस्ट्रांग और ऐल्ड्रीन ही चांद पर उतरे थे और 31 घंटे और 31 मिनट चांद पर रहे। हम लोग स्कूल में पढ़ रहे थे। चांद पर मानव के कदम रखने पर पूरे भारत में छुट्टी दे दी गई थी।
हम लोगों को सिनेमा घर ले जाकर उनको चांद पर चहलकदमी करते हुये दिखाये। मन बहुत खुश हो रहा था जिस चांद को हम देखते रहते हैं उस तक मानव पहुंच गया। उसके बाद चांद पर कोई नहीं गया। भारत का एक प्रयास था कि वहां की मिट्टी, हवा, पानी, भूकम्प का परिक्षण करें। पर चांद अपने को समेटे रखना चाहता था। वरना दो किलोमीटर पहले ही सम्बंध टूटना आश्चर्यजनक घटना है।जो यान 384400 किलोमीटर का रास्ता तय करके चांद की परिक्रमा करने लगी वह दो किलोमीटर पहले कैसे हमसे सम्बंध थोड़ सकती है?बहुत दुख हुआ बचपन में देखी गई नील आर्मस्ट्रांग की चहलकदमी याद आने लगी।
अंतिम "दहशत के वो पंद्रह मिनट " " 15 मिनट ऑफ टैरर" सभी टी वी के सामने बैठे थे। आज भारत जाग रहा था। पहले चरण में विक्रम तीस किलोमीटर से 7.4 किलोमीटर पर आया। दूसरे चरण में 7.5 से 5 किलोमीटर तक उतरा, तीसरे चरण में 5 किलोमीटर से नीचे उतरते समय सम्पर्क टूट गया। एक बज कर तिरपन मिनट पर उतरने वाला विक्रम एक बज कर इंकावन मिनट पर इसरो से सम्पर्क टूट गया। सभी दुखी थे।पर हमारे पी एम ,नरेंद्र मोदी जी ने् इसरो प्रमुख के सिवन को गले लगा कर बहुत अच्छी बात कही। "जीवन में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। यह कोई छोटी उपलब्धी नहीं है। देश आप पर गर्व करता है। आपकी इस मेहनत ने बहुत कुछ सीखाया है। अच्छे के लिये आशा करें। हर हार से हम बहुत कुछ सीख रहे हैं।मैं पूरी तरह आपके साथ हूं। हिम्मत के साथ चलें। आपके पुरुषार्थ से देश फिर से खुशी मनाने लग जायेगा।" यह मिशन सफल होता तो भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाता।
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