रविवार, 26 जुलाई 2020

माँ के लिये एक दिन

आज मुझे मेरी मां की बहुत याद आ रही है। 17 सितम्बर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन था। वे बहुत सा काम निपटा कर अपनी माँ से मिलने जाते है। सबसे पहले नर्मदा की पूजा किये उसके बाद माँ से मिलने गये। माँ के साथ खाना खाये। खाने में तुअर दाल, पूरन पुड़ी, देशी चना ,आलू भिंडी की सब्जी के खाना खाये।सादा भोजन और माँ क साथ बहुत कम लोगों को नसीब होता है। परिवार के कोई और लोग सामने नहीं आये। माँ सादगी से मिली और खाकर साथ बैठ कर बेटे के मुंह पोछी। एक मां के लिये बेटा तो बेटा होता है चाहे वह प्रधानमंत्री ही क्यों न हो। मां ने पांच सौ रुपये दिये। पहले एक सौ एक देती थी। मोदी जी बहुत प्यार से पैसा लेकर जेब में रख लेते हैं। यही तो वह आशिर्वाद है जो हमेंशा साथ में रहेगा।

मां बेटे जब मिलते हैं तो दोनों के आँखो भाव पढ़ना चाहिये।माँ की ममता उसके हर अंग से दिखाई दे रही थी। मोदी जी कैसे निश्चिंत अपनी माँ के साथ बैठे थे। माँ कुछ बोल रही थी और वह सुन रहे थे। बीच में अपने रूमाल से बेटे का मुंह भी पोछती थी। मोदी जी छोटे बच्चे की तरह बैठे रहते हैं। मोदी जी के आँखो में माँ के प्रति प्रेम दिखाई देता है। मोदी जी सुरक्षा गार्ड से ज्यादा अपनी मां के पास अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे थे। सही है माँ के आँचल से ज्यादा सुरक्षित कोई और जगह नहीं है। हर वर्ष मिडिया उनकी फोटो दिखाती है पर मिडिया घर के अंदर नहीं जाती और उनके परिवार के लोगों को नहीं दिखाती। कोई और होता तो अपने परिवार घर सबकों दिखाता।

पूरे देश को चलाने वाला प्रधानमंत्री जो किसी का बेटा भी है, अपनी मां को जन्मदिन पर नहीं भूलता है। माँ से आशीर्वाद लेने जाता है। उसे अपने काम से ज्यादा माँ से मिलना जरुरी लगता है। आज हम अपनी माँ को काम के बाद रखते हैं।

आज हम इतने व्यस्त हो गये हैं कि चालीस किलोमीटर की दूरी भी पार करके माँ का आशीर्वाद लेने नहीं जा सकते है।शहर में एक ही घर में भी माँ के पास एक घंटा नहीं बैठ सकते हैं। आज बचपन और माँ याद आ रही है। पहले न तो केक काटते थे और न पार्टी होती थी। माँ बढ़िया खीर बनाती थी और सब लोग बैठ कर खीर पूड़ी खाते थे। कभी गिफ्ट नहीं मिला और सिर्फ प्यार मिला। उस एक दिन की खुशियां साल भर प्रेरणा देती थी। आज तो जन्मदिन तीज त्योहार में पर छुने की प्रथा भी दम तोड़ रही है। हमारी युवा पीढ़ी अब अंग्रेजी संस्कृति की ओर बढ़ रही है ,केक काटती है और माँ बाप को पप्पी लेती है। वही आज हमारी तीसरी पीढ़ी भी वही कर रही है। आज हमें इन बड़े और सादगी पूर्ण लोगों से कुछ सीखना चाहिये। यादों के पन्ने खुलते जाते हैं जब ऐसी कोई घटना होती है।

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